Category: हिंदी कविता

हिंदी कविता

रिश्वतखोरी

रिश्वतखोरी क्षितिज उपाध्याय “किशोर” हर आदमी का बना रिश्वत ईमान क्या, यही है मेरा भारत महान? हर पल असूलों का होता, अपमान जहां सिर्फ भरी, जेब का होता सम्मान। क्या…

उस दिन दुल्हन के लाल जोड़ें में नफरत फैलाया होगा

उस दिन दुल्हन के लाल जोड़ें में नफरत फैलाया होगा क्षितिज उपाध्याय “किशोर” उस दिन दुल्हन के लाल जोड़ें में नफरत फैलाया होगा , टीचर और कुछ सहेलियों ने उसे…