रिश्वतखोरी

क्षितिज उपाध्याय “किशोर”
हर आदमी का बना
रिश्वत ईमान क्या,
यही है मेरा भारत महान?
हर पल असूलों का होता,
अपमान जहां सिर्फ भरी,
जेब का होता सम्मान।
क्या यही है,
मेरा भारत देश महान?
हर काम के लिए फिक्स रेट,
ना दिया तो हो जाओगे लेट,
जो दिखता है गाँधीछाप उसका
उसका काम हो जाता है अपने आप
हर आदमी रिश्वत लेता खुलेआम
क्या यही है मेरा भारत देश महान?
सम्मानित हो धनवान,
चाहे कुकर्मि हो सारे।
निधर्न अगर आ जाएँ,
बैठे जमीन पर बेचारे।
क्या यही है मेरा भारत देश महान?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *