रक्षाबन्धन

 डा ० जी ० भक्त

 1

 रक्षाबन्धन ,

 है अभिनन्दन ,

 भाई – बहन का करुण कंदन ,

 चाह रहा समरस सम्बर्द्धन ।

 2

 आज विश्व में फैल रहा है ,

 जन जीवन में ही उत्पीड़न ।

 असुरक्षित हो चली बहन ,

 देना है उसको नव जीवन ।।

 3

 प्रताड़ित शोषित उत्पीड़ित ,

 जंग जीती जननी कैसे ?

 घन – घटा की रिमझिम मे ,

 बिजली कौंध रही है जैसे ।

 4

 खा चोट ओट में अस्मिता की ,

 द्रवित अश्रु की धार संजोये ।

 भ्राता त्राता रहे नहीं , आशा

की दरिया में खोये ।।

 5

 अस्मिता की आग में आधात ,

 सहकर सजा जीवन ।

 नही पाता आज सम्बल ,

 विश्वास का झूठा प्रलोभन ।।

 6

 कब तक इन बहनों की गरिमा ,

 लौटेगी सद्भाव स्नेह से ?

 संविधान के शब्दों में ,

 इतिहास द्रवित है संदेहों से ।

 7

संदेशों का पालन प्लावन आशाओं का ।

 दुर्दिन झेल रही वनिता दुर्दशा न्यास का ।।

 नारी का उत्कर्ष बताकर पाते नेता हर्ष ।

 राखी लाने चली नारियाँ लेकर अपना पर्स ।

 8

 मिला नियोजन थोड़ा भोजन ,

 उठा मामला मानदेय का ।

 कहाँ मिलेगी सुन्दर राखी ?

 राह पकड़ ली मौल सेल की ।।

 9

 राखी का त्योहार कोरोना कहर ला दिया ।

 तीन फीट का द्वार जहा पर जाम लग गया ।।

 पुलिस लाइन ने गाइड लाइन पर डाला जोर ।

 बहने राखी छोड़ मास्क को लिया बटोर ।।

 10

 भैया , आया आज जमाना बदलावों का ।

 छूट रहा है आज पसीना त्योहारों का ।।

 गया देश का ध्यान एलेक्शन और प्रदर्शन ,

 बहुत जरुरी है , उत्सव पर लगना वर्जन ।।

 11

 रक्षाबन्धन , बट सावित्री , भैयादूज ,

 उत्सव हो या हो बरात सामुदायिक भोज ,

 बहुत जरुरी रोक लगाना देश चाहता ।

 इससे अच्छा प्रगति का मार्ग नही हो सकता।।

 12

 पर्व बना है प्रेरक चिन्तक शुभ कर्मो का ।

 यादगार बनता अतीत की घटनाओं का ।।

 उसकी भी नितान्तता सदा जरुरी ।

 लेकिन अब तो बन गयी है अपनी मजबूरी ।।

9 thoughts on “रक्षाबन्धन , है अभिनन्दन , भाई – बहन का करुण कंदन”
  1. I don’t even know the way I ended up here, but I believed this put up used to be great. I do not know who you are however definitely you are going to a well-known blogger if you happen to aren’t already 😉 Cheers!

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