पुत्र V/S कोरोना

राजु कुमार राम ( सिवान, बिहार )

बड़ी मुश्किल से एक चिराग जला था ।
उसे हरपल कोरोना से बचाया था,
सब लोगो ने ये जाना था ।
कोरोना संकट का खजाना था । ।
गरीब बच रहे थे मुश्किल से,
नेता जी भाषण दे रहे थे महफ़िल से,
तभी ये समझदार सरकार
लाकडाउन कर दी दमदार,
आखिर एक दिन आया तूफान,
महासंकट का दे गया फरमान ,
गले से शुरू हो गया तूफान,
फेफड़े को भी दे गया निशान,
पुत्र था एक मजबूर किसान पिता का
सबकुछ बेच परेशान किसान
तभी किसी ने सुचना पहुचाई,
बेटे को वो अस्पताल भर्ती कराया ।
पैसा डॉक्टर खूब कमाया ।
जान बचने का ढोंग रचाया ।
फिर पिता ने सरकारी अस्पताल पहुचाया
डॉक्टर ने झूठा ऑक्सीजन लगाया ।
तभी अन्दर से सूचना आई,
तेरे बेटे को कोरोना हराया,
पिता ने आवाज लगाई,
सरकार को उसने दोषी ठहराई,
मेरे बेटे को झूठी ऑक्सीजन लगाई,
मेरे बेटे को कोरोना के साथ मिलकर हराई,
तभी उसने अपने फंसी की गुहार लगाई,
इसके लिए कि बेटे की जान गवाई । ।

काव्य कुंज कलिका ( कविता संग्रह ) / Kavya Kunj Kalika (Poetry Collection)

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