नया वर्ष – 2

 नया वर्ष आया है ।

 कदम – कदम पर खुशियाँ विछाया है ।

 लोग कहते हैं चुनाव सामने है ।

 नेताओं को चुनौतिया थामने है ।

 कीमते बढ़ी , पढ़ाई बन्द ।

 मौसम बिगड़ा , गतियाँ मन्द ।।

 ऐसे में आया नव वर्ष ।

 लेकर भागा सबका हर्ष ।

 पिछले वर्ष में हुआ घोटाला ।

 पड़ा एलेक्शन से फिर पाला ।।

 कौन सुने जनता का दर्द ?

 जोड़ – तोड़ का ऊँचा तर्ज ।।

 निखरे नेता , बिखरी पार्टी ।

 न्याय नीति में मिल गयी माटी ।।

 दल को छोड़ो बल अपनाओ ।

 नये वर्ष में सत्ता पाओ ।।

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