पगली ! हँसी नही थी फ़िल्मो मे देखा था …..!
मैने फ़िल्मो में देखा था ,
वो जो एक नज़र में दिल मे उतर जाए |
पता नही कब अचानक दिलों – दिमाग कुतर जाए ||
पर यक़ीनन यार , ऐसा सच में होगया था |
सिर्फ तस्वीर देख के प्यार होगया था
काफ़ी समझाया था खुद को ,
जबतक पटी नहीं थी |
वो पगली 5 महीने 16 दिन तक ,
एक बार भी देख कर हँसी नहीं थी ||
पर मैं भी जिद्दी , कहाँ मानने वाला था ।
पता लगाया जो , मुझे और उसे दोनो को जानने वाला था |
इस बार रिस्क लेके उससे मिलने , मैं खुद गया |
2-3बार में ही उसके दिल में कूद गया ||
अब तो किस्मत यूँ मेहरबान हैं मुझपे ,
एक दूसरे की सुख दुख बाँटते , हँसी उड़ाते हैं ।।
घूमते तो हैं ही एक साथ , सुनोगे तो जलोगे ,
एक ही आइसक्रीम दोनो मिल के खाते है ।।
आलम तो अब ये हैं साहब !
जो मुझे बैचलर कह के चिढ़ाते थे ,
कई पार्टियो में नहीं बुलाया |
वो मेरी पगली के कई दोस्तो को
देख के मुझसे अपनी सेटिंग के
लिए तेल लगाने आते हैं ,
एक तो अभी अभी अपना नंबर लेके आया |