स्वतंत्रता दिवस

डा० जी० भक्त

स्वतंत्रता दिवस का अत्सव
पन्द्रह अगस्त अब तक ।
होता आ रहा वतन में
हर वर्ष हर्ष पूर्वक ।।
पावस ऋतु की वर्षा
जब दे चुकी है दस्तक ।
तब चढ़ चुका है हर घर
उत्साह हर के मस्तक ।।
धरती नदी या पर्वत
सब सोचने को तत्पर ।
ये देश के युवाओ
क्या देखते हो पथ पर ।।
मजदूर सेवक कृषक
और देश के है रक्षक ।
बालक किशोर युवक
वृद्धो की टोली भरसक ।।
नर नारी फिर सवारी
सैनिक के पास तर्कश ।
नही हाथ में है झंडा
है भी अगर तो डंडा ।।
हमे देश को जगाना
अबतक है शेष बाकी ।
विद्यालय के सिर्फ बालक
क्या पाये थे आजादी ।।
हम देश भक्त होकर
करते है भूल भारी ।
कोई कह न पाये हम को
खो चुके तू खादी ।।
हम राष्ट्र पथ के राही
लेते है जिम्मेदारी ।
15 अगस्त जब हो
तिरंगा से न हो खाली ।।

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