सृष्टि के बदलते आयाम ,ब्रह्म और प्रकृति के अदभूत खेल सरीखे, सूर्य चन्द्र नक्षत्र सितारे सबकुछ देखे ।
सृष्टि के बदलते आयाम 1 ब्रह्म और प्रकृति के अदभूत खेल सरीखे , सूर्य चन्द्र नक्षत्र सितारे सबकुछ देखे । पृथ्वी सागर भूमि पवन जंगल फिर पानी , दिवा –…
Poets Community
हिंदी कविता
सृष्टि के बदलते आयाम 1 ब्रह्म और प्रकृति के अदभूत खेल सरीखे , सूर्य चन्द्र नक्षत्र सितारे सबकुछ देखे । पृथ्वी सागर भूमि पवन जंगल फिर पानी , दिवा –…
किशोर कल्पना खोकर नैतिकता अनुशासन और इमान को , कर्तव्यबोध को ठुकड़ाकर सेवा के व्रत को । राष्ट्रीयता को भूल देशको बेंच रहे हैं । पग – पग पर दुर्दशा…
दौड़ लगाती दफ्तर जाती , लौट – लौट जाकर दरबार ।। काम नही करते जो बाबू उनसे चलती है सरकार । काम कराते वहाँ एजेन्ट है नेता जी को क्या…
जन – गण – मन – उत्थान आओ हम सब देश बनाये सबसे सुन्दर । जहाँ न हो टकराव विवसता इसके अन्दर ।। शिक्षा , स्वास्थ्य , सुरक्षा की मजबूत…
जागृति का उद्घोष जागो भारत के लाल तन्द्रा त्यागो । ये भोग व्यसन अपराध मनुज से भागो ।। न्यायार्थ भूमि पर जमों , धैर्य अपनाओ । सत्यार्थ स्नेह सद्भाव शील…
जीवन , सत्ता और सम्मान जन से जग , जग से जनजीवन , जीवन से जग का विस्तार जग में जीवन से जन सत्ता , जन सत्ता से जग उद्धार…