Author: Kshitij Upadhyay KISHOR

ऐसा लगता है, की जैसे खत्म मेला हो गया , सोचता हूं कैसे खुद को शादी के लिए समझाया होगा?

ऐसा लगता है, की जैसे खत्म मेला हो गया, अब उड़ जाएगी, आंगन से चिड़िया घर अकेला हो जायेगा। उस दिन मेरी दोस्त को दुर जाने का ख्याल आया होगा…

गरीब और मजदूर , पढ़ लिख कर, पुलिस या डॉक्टर, तो नही बन पाया ।

गरीब और मजदूर 1:-सियासी असूल में, जो आग लगती हैं। पर उसमें अक्सर, गरीब ही जलाते हैं। जहां से कभी, हम चले थे। आज भी वही, खड़े हो गये ।…

शाहजहां तेरी मोहब्बत छोटी , पड़ गई इसके आगे,बेवफ़ा निकले वो,शहर जिनके लिए,मजदूरों ने जान लगा दी, साहब।

शाहजहां तेरी मोहब्बत छोटी, पड़ गई इसके आगे। 1:- शाहजहां तेरी मोहब्बत छोटी, पड़ गई इसके आगे। दिल्ली से आंशिक को पैदल, कांधे पर लाने के आगे। मजदूर था, वो…

कोरोना का क्रन्दन , बढ़ी विपदा जब धरती पर हुआ देवगण का अवतार ।

कोरोना का क्रन्दन बढ़ी विपदा जब धरती पर हुआ देवगण का अवतार । बढ़ा पाप तो आया दुर्दिन , फैला जग में अत्याचार ।। यही परम्परा बन कर रह गयी…

Lockdown , तुमने पहली बार किया है‬, ‪मैंने तो सदा से ही‬, ‪लॉकडाउन जिया हूं। ‪ #stayhome #staysafe.

Lockdown ‪2. तुमने पहली बार किया है‬, ‪मैंने तो सदा से ही‬, ‪लॉकडाउन जिया हूं। ‪मुझे रत्ती भर फरक नहीं पड़ता‬, ‪कौन-सा होटल बंद‬, ‪कौन-सा बाजार खुला है‬। ‪मेरे लिए…