मेरा गाँव My village hindi poems poetry kavita balkavita Dr. G. Bhakta

 मेरा गाँव

 हरा भरा है मेरा गाँव ।

 धन वैभव से भरा है गाँव ।।

 पढ़ा – लिखा है मेरा गाँव ।

 खूब सजा है मेरा गाँव ।।

 बाग बगीचे लगे हुए है ।

 मंदिर और तालाब बने है ।।

 बैंक और विद्यालय खुल गये ।

 अस्पताल शौचालय बन गये ।।

 अन्न से भरा पड़ा भंडार ।

 हर चीजो से भरा बाजार ।।

 देखो पक्की सड़क बनी है ।

 उस पर गाड़ी दौड़ रही है ।।

 नही रहा अब कोई अनपढ़ ।

 सभी सुशिक्षित बन गये पढ़कर ।।

 मिल रही है उन्हें नौकरी ।

 नही पकड़ते खुरपी टोकड़ी ।।

 नहिलाओं की दशा सुधर गयी ।

 दीन हीन की काया पलट गयी ।।

 मिलता उनको सस्ता भोजन ।

 सौ दिनों का मिला नियोजन ।।

 बी ० पी ० एल ० का स्तर पाया ।

 सस्ता राशन घर में आया ।।

 उनको कमरे , बिजली मिलती ।

 स्कूली बच्चे खाते खिचड़ी ।।

 आज न कोई बड़ा न छोटा ।

 रहा न कोई भाग्य का खोटा ।।

 राजनीति में सबको हिस्सा ।

 खाते सब है काजू पिस्ता ।।

 हरित क्रान्ति की हवा चली है ।

 हाई ब्रीड पर नजर गड़ी है ।।

 करते सब वैज्ञानिक खेती ।

 अच्छी उपज फसल है देती ।।

 सुन्दर लगता मेरा गाँव ।

 सुख का साधन देता गाँव ।।

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