Category: हिंदी कविता

हिंदी कविता

सृष्टि के बदलते आयाम ,ब्रह्म और प्रकृति के अदभूत खेल सरीखे, सूर्य चन्द्र नक्षत्र सितारे सबकुछ देखे ।

सृष्टि के बदलते आयाम 1 ब्रह्म और प्रकृति के अदभूत खेल सरीखे , सूर्य चन्द्र नक्षत्र सितारे सबकुछ देखे । पृथ्वी सागर भूमि पवन जंगल फिर पानी , दिवा –…

दौड़ लगाती दफ्तर जाती , लौट – लौट जाकर दरबार ।।

दौड़ लगाती दफ्तर जाती , लौट – लौट जाकर दरबार ।। काम नही करते जो बाबू उनसे चलती है सरकार । काम कराते वहाँ एजेन्ट है नेता जी को क्या…

जागृति का उद्घोष

जागृति का उद्घोष जागो भारत के लाल तन्द्रा त्यागो । ये भोग व्यसन अपराध मनुज से भागो ।। न्यायार्थ भूमि पर जमों , धैर्य अपनाओ । सत्यार्थ स्नेह सद्भाव शील…