Author: Kshitij Upadhyay KISHOR

मैं तेरा हूँ , मैं तेरा हूँ, तु मेरी है, समझाऊँ कैसे, दुनिया करे हज़ार सवाल अपने मोहब्बत को बचाऊ कैसे।

1:- मैं तेरा हूँ , तु मेरी है , समझाऊँ कैसे , दुनिया करे, हज़ार सवाल, अपने मोहब्बत, को बचाऊ कैसे। 2:- अपना हिस्सा मांग कर देखे, सारे रिश्ते बेनकाब…

जय मां दुर्गे , दुर्गा माता की जय – जय हो, जन- जन सुखी और निर्भय हो ।

जय मां दुर्गे । दुर्गा माता की जय – जय हो । जन- जन सुखी और निर्भय हो । । रोग कभी न उन्हें सताये । दुर्दिन उनपर कभी न…

पवन पानी पनघट और प्यास , पवन पानी पनघट और प्यास ।

पवन पानी पनघट और प्यास पवन पानी पनघट और प्यास , इसी पर निर्भर है जीवन की आसा काल के वश चलता है जीवन , इसके लिए करना पड़ता है…

जब नफरत था, तो प्यार का सपना था, कविता; जब नफरत था, तो प्यार का सपना था।

जब नफरत था, तो प्यार का सपना था। जब नफरत था, तो प्यार का सपना था। जब नफरत था, तो प्यार का सपना था। जब प्यार हुआ, तो नफरत एक…