उनके एक इशारे पे , मर मिटने को तैयार बैठे हैं |
उनके एक इशारे पे , मर मिटने को तैयार बैठे हैं |
हम आशिक है उनके , उनके इंतेजार मे बैठे है |
न जाने ये दुनिया हमें कब तक गोल – गोल घुमाएगी |
न जाने कब उनसे मिलने की घड़ी आयेगी |
आज नही तो कल , उनको भी मेरी बात समझ मे आयेगी |
अरे नहीं आयेगी तो नहीं आयेगी |
लेकिन इसके लिए भी वो एक दिन बहुत पछताएगी |
कहीं कोने में छुप – छुपकर वो मेरे लिए अश्क बहाएगी |
फिर मैं कैसे मान लूँगा की ये आँसू सच के आँसू हैं या मगरमच्छ के |
जब कुछ बात समझ मे न आयेगा मुझे तब मैं उनकी कही हुई बातें उन्ही को याद दिलाउँगा |
और फिर उन्हे समझाउँगा , अगर करनी थी नफ़रत तो दिल से करती |
करनी थी मुहब्बत तो दिल से करती |
कम से कम मेरी नज़र से तो तुम नही गिरती |
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