मेरा गाँव
हरा भरा है मेरा गाँव ।
धन वैभव से भरा है गाँव ।।
पढ़ा – लिखा है मेरा गाँव ।
खूब सजा है मेरा गाँव ।।
बाग बगीचे लगे हुए है ।
मंदिर और तालाब बने है ।।
बैंक और विद्यालय खुल गये ।
अस्पताल शौचालय बन गये ।।
अन्न से भरा पड़ा भंडार ।
हर चीजो से भरा बाजार ।।
देखो पक्की सड़क बनी है ।
उस पर गाड़ी दौड़ रही है ।।
नही रहा अब कोई अनपढ़ ।
सभी सुशिक्षित बन गये पढ़कर ।।
मिल रही है उन्हें नौकरी ।
नही पकड़ते खुरपी टोकड़ी ।।
नहिलाओं की दशा सुधर गयी ।
दीन हीन की काया पलट गयी ।।
मिलता उनको सस्ता भोजन ।
सौ दिनों का मिला नियोजन ।।
बी ० पी ० एल ० का स्तर पाया ।
सस्ता राशन घर में आया ।।
उनको कमरे , बिजली मिलती ।
स्कूली बच्चे खाते खिचड़ी ।।
आज न कोई बड़ा न छोटा ।
रहा न कोई भाग्य का खोटा ।।
राजनीति में सबको हिस्सा ।
खाते सब है काजू पिस्ता ।।
हरित क्रान्ति की हवा चली है ।
हाई ब्रीड पर नजर गड़ी है ।।
करते सब वैज्ञानिक खेती ।
अच्छी उपज फसल है देती ।।
सुन्दर लगता मेरा गाँव ।
सुख का साधन देता गाँव ।।
Mast h 🤟🤟🤟🤟