रक्षाबन्धन

डा० जी० भक्त

रक्षाबन्धन प्रेम प्रदर्शन, भाई बहन में है अभिनन्दन।
स्नेह भरा यह सुखद स्पन्दन घर-घर प्रस्फुट रक्षाबंधन ।।
भ्राता पिता पुत्र जगत में, पालक सेवक संरक्षक बन।
और मित्र भी परम प्रिय जो हृदय पटल के सहचर ।।
दुनियाँ इन पर निर्भर रहकर स्नेह निभाये सब कुछ पाये।
हृदय फटे तो जननी पत्नी पुत्री सुखी न कोई भाये ।।
यह जग है मतलब का भागी नाता रिश्ता सभी निभाये।
ऐसे भी है लोग जो करजा रखकर चट कर जाये ।।
याचना करना, पूछना और संघर्ष से न कुछ पा सकना।
दिल मे जिसको दर्द और सद्भाव नही वह सदा सताता ।।
ऐसे लोग भी होते जग में, प्रेम भाव पर मरने वाले।
श्रद्धा और विश्वास मात्र पर ईश्वर पापी को फल देते।।
जो सच्चे दिलवाले, सब जीवों पर प्रेम दर्शाने वाले।
वे दुनियाँ मे सबके सेवक, रक्षक, और दया करने वाले ।।
क्यों न भाई भी करे भलाई जिसकी बहना याद करे।
भाई का रिश्ता प्राकृत है बहनो के हित जीते है जो ।।
बहन दीन है दूरी पाकर हृदय प्रेम धन के भंडार।
जो ऐसा विचार रख पाता, सारी दुनियादारी पार ।।
श्रावण मास पूनम की तिथि चन्दन सूत्र हो और मिठाई।
बहने सदा बाँधती कंगन श्रद्धा से भर अपने भाई ।।
भाई प्रेम का पुतला बहन सदा प्रेम की डाली।
कहते कवि भक्त जी सबसे और गोपाल सिंह नेपाली ।।

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