जन हुंकार
( एक लघु काव्य )
लेखक- डा. जी. भक्त
Book Details
A Book By:- MY XITIZ POETRY / Poets Community/
Title:- Jan Hunkar (A Short Poetry)
ISBN:- 9798889357759
Format:- Paperback
Book Size:- 5/8
Page Count:- 38
Price Rs:- 99.00
पुस्तक परिचय
जन हुंकार ( एक लघु काव्य )
प्रसिद्ध गाधीवादी सामाजिक कार्यकर्त्ता भारतीय आत्मा अन्ना हजारे की संस्था इंडिया एगेन्स्ट कोरप्शन को यह काव्य रचना समर्पित हैं, जहा से भ्रष्टाचार नियंत्रण हेतु राष्ट्र व्यापी आन्दोलन जारी है ।
लेखक:– डा० जी० भक्त
प्राक्कथन
शास्त्रीय प्रमाणों तथा इतिहास के पन्नों से भारत की संज्ञा विश्व विभूतियों में – मानी जाती रही है किन्तु हम तो दृष्टितया ही पाते है या इसका विदप आज भारत की सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और राजनैतिक स्थिति चिन्तनीय तो है ही, भ्रष्टाचार, अनैतिकता एवं दायित्व का अभाव भानवता को समाप्त कर रखा है। आज के विकसित युग में जब हम साम्राज्यवादी परतंत्रता से मुक्त हो चुके है फिर भी गुलामी का ताज सिर पर बोझ नही रोग बन गया है। मानवता की संवेदना, उसकी दिशा और मूल्य असहय प्रतीत हो रहे हैं।
अपरोक्त को चित्रित और प्रतिबिम्वित करने का प्रयास काव्य रचना के अभ्यास में प्रकट हो पाया है। मैं उन भावनाओं को राष्ट हित में संसिद्ध करने हेतु आम जन मानस से परिचित कराना चाहूंगा। आपके विचार मेरे लिए सम्बल साबित होंग और प्राकाशन हेतु प्रेरक ।
लेखक
सप्रेम विनीत
हाजीपुर, 7 सितम्बर, 2011
सम्पादकीय
अनन्य शिक्षा स्नेही, उच्च कोटि के चिन्तक, विचारक, तत्पर समाज सुधारक, कला और विज्ञान दोनों ही के परम आग्रही, संस्कृति के रक्षक, साहित्यकार एक ही साथ लेखक और कवि भी अंग्रेजी और हिन्दी दोनों ही भाषाओं में डा० जी० भक्त की रचनाधर्मिता उनकी जन हुँकार नामक लघुकाव्य में प्रस्फुटित हुयी है।
भारतीय इतिहास सौष्ठव, अंग्रजी सत्ता की वर्वरता और स्वतंत्र भारत की राजनैतिक, सामाजिक परिदृश्य पर कवि की आर्तनाद कोई क्रांतिकारी उन्माद नही, जन आकांक्षाओं की करुण भाव – भूमिका है जिसके लिए भारतीय आत्मा को जगाने और उनमे युगबोध अपनाने की उदघोषणा निहित है।
डा. जी. भक्त अपनी साहित्यिक सेवा को समाज के लिए समर्पित किया है जिसमे शिक्षा, समाज कल्याण और चरित्र निर्माण का ही लक्ष्य निखरता है।
जहाँ भक्त जी की होमियोपैथिक औषधियाँ रोग निवारक है वैसी ही उनकी कविताएँ भी जीवन दायिनी है काव्य का निहितार्थ सत्ता पर आरोप के उद्घोष नहीं नागरिकों के सम्बन्धों में विश्वास जगा पाने की शिष्ट कल्पना है कवि 1 देश में जनतंत्र की सुदृढ़ नीव के समर्थक हैं।
प्रो० डॉ० नवल किशोर श्रीवास्तव
पूर्व अध्यक्ष स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग
आर० एन० कॉलेज हाजीपुर (वैशाली)
जन हुंकार ( एक लघु काव्य )
काव्य जगत में डा. जी. भक्त जी का प्रवेश एक नूतन लक्ष्य लेकर सामने आ रहा है। मैं अपने आकलन में यही और ऐसा ही पा रहा हूँ कि मानवादर्श जीवनादर्श, प्राकृतिक चित्रण, वालोपयोगी विषय वस्तु, कर्त्तव्याकर्त्तव्य सह सांस्कृतिक एवं समसामयिक परिदृश्य का सकारात्मक चित्रांकन ही उनकी काव्यधर्मिता की प्रमुख विधाएँ है ।
मैं आशा एवं विश्वास दानों ही दृष्टि से कामना करता हूँ कि शिक्षा के परिवेश में प्रकृत्या आती गिरावट को नयी ऊर्जा प्रदान करने में डा. भक्त की हिन्दी एवं अंग्रेजी में प्रस्तुति अपनी सार गर्मिता, लालित्य और युगधर्म के लिए अवश्य सराही जायेगी।
“जन हुँकार” में कवि की भावना का क्रमिक भावोन्मेष, कालक्रम की गति, परिणति, प्रस्तुति और अवसान में जन-मन एवं हृदय के भावोद्रेक मानव के कल्याणार्थ फूट पड़ा है, जो जितना ऐतिहासिक है, उतना ही समसामयिक भी। राजनैतिक परिदृश्य का सामाजिक संस्पर्श पाठकों की सहमति की अपेक्षा रखेगी।
भवदीय
विषय सूची
सं० शीर्षक
दो शब्द
प्राक्कथन
MY XITIZ POETRY
जन हुँकार ( एक लघु कव्य )
सम्पादकीय
1. प्रथम सर्ग
2. द्वितीय सर्ग
3. तृतीय सर्ग
4. चतुर्थ सर्ग
5. पंचम सर्ग
6. षष्ठी सर्ग
7. सप्तम सर्ग
8. अष्टम सर्ग
9. नवम सर्ग
10. आर्त नाद
[…] वही पर एक सज्जन अपना विचार रखते है कि आज भी साहित्य सृजन हो रहा है। जहाँ लेखक युगीन परिवेश में उत्तम विचारों के माध्यम से समाज का नेतृत्व लेकर उत्तर रहे है। उनकी भी रचनाएँ साहित्य के अनेकानेक प्रस्फुट विचार समक्ष रख रहे है। संक्षिप्त में भी विस्तृत एवं गहन भाव भरे हैं आडम्बरों कुप्रदाओं, कुरीतियों तथा नीति विरुद्ध प्रचलनों में आमूल सुधार के मानवता वादी लक्ष्यों को सामने लाकर सुधरा, स्वस्थ, प्रगत, सुसंस्कृत और विकसित समाज का मंत्र ही नहीं जागृति का मार्ग प्रशस्त्र कर रहे है यहाँ | तक कि प्रतिनिधि ग्रंथों, नीति शास्त्रों, आध्यत्म और राजनीति सह समाज शास्त्र पर भी उनका उत्कृष्ट सुझाव विश्व को नेतृत्व दिलाने वाली है नोसन प्रेस सिंगापुर से छपे तीन पुस्तकों क्रमश:-(1) आधुनिक युग में श्रीमद्भग्वदगीता(2) Memorizer in Homeopathy (Poem in Eglish)(3) जन हुँकार (लघुकाव्य) […]
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