काव्य कुंज कलिका
( कविता संग्रह )
निर्देशक:- क्षितिज (सिवान, बिहार)
Book Details
A Book By:– MY XITIZ POETRY / Poets Community/
Title:– Kavya Kunj Kalika (Poetry Collection)
ISBN:– 9798888050811
Format:– Paperback
Book Size:– 5/8
Page Count:– 36
आभार
प्रस्तुत कविता-संकलन “काव्य कुंज कलिका” जो मेरे द्वारा संकलित किया गया है। जो कविताओं का प्रेरणा संकलन है। इस के अंतर्गत आने वाले, हिंदी व अहिंदी भाषी क्षेत्रों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संकलित किया गया है।
इस प्रस्तुतिकरण पर हमने काफी विचार-विर्मश किया है। इस में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के युवा कवियों का कविता-संकलन, उनको उत्साहवर्धन और पुरस्कृत करने के लिए किया गया । इस में अहिंदी भाषी क्षेत्र से उभरते नवयुवक हिंदी भाषी कवि दिखे…! कविताएँ कही तो कवियों की आशाओं से जुड़कर आनन्द और अभिलाषाओं के रूप में है, तो कही नितांत दुःख और क्लेश से जुड़कर व्यंग्य या प्रश्न के रूप में हमारे सामने आती है। इस शुभ कार्य के लिए युवा कवि एवं कवियित्रियो को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं और धन्यवाद।
संकलन “काव्य कुंज कलिका” में प्रस्तुत अन्य कविताएँ भी ऐसी ही मानवीय भावनाओं से परिपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर आए हुए युवा कवि, आधुनिक प्रचार-प्रसार के माध्यमो से परिचित होते हुए भी उनके गुणों से वंचित न रहे।
आशा करता हुँ यह “काव्य कुंज कलिका” पुस्तक सभी पढ़ेगे तथा कुछ ह्रदय स्पर्शी बातें ग्रहण करेंगे।
निर्देशक
क्षितिज
(वास्तुकला छात्र)
शुभकामना संदेश
किंचित बाल भावनाओं में वैभव विस्तार की विधाएँ सांस्कारिकरूप से लेखनी के माध्यम से प्रस्फुट रूप लेती है । गद्य लेखन और काव्य रचनाधर्मिता प्रायः बाल वय में स्फुरित होती पायी जाती है जिनको विकसित आयाम देने में प्रोत्साहन एवं धरातल प्रदान करना अनिवार्य है ।
इस प्रकार के क्षेत्र प्रदान करने की दिशा में युवा कवि क्षितिज कविता संकलन “काव्य कुंज कलिका” की विविध बाल भावनाओं की एक साथ एक मंच पर प्रस्तुति प्रकाशित करना सराहनीय कदम ।
प्रस्तुति में लक्षित शीर्षक विषय वस्तु में अभिव्यक्त अपनी मानसिक अभिव्यंजनाएँ कहीं अपने उदगारों को साझा करते तो कहीं अपनी अपेक्षाएँ रखते हैं ।कहीं विविध भाव भंगिमा , मनोकामना, तर्कना एवं लक्ष्य संधान का प्रस्फुट प्रयास रेखाकिंत करते है ।
उल्लेखनीय है कि बाल कलाकारों ने आशा से अधिक अपनी भाषा को भावानुकूल स्वरूप देने में सफलता पायी है , जो पाठकों के लिए बोधगम्य एवं उत्साह बर्द्धक साबित हो रहें है । हम उनकी सार्थक रचना की सराहना और विकास की कामना करते हैं । इन्हीं शब्दों के साथ……..!
वात्सल्य भावेन
अध्यक्ष
डॉ. जी. भक्त
प्रगत वैज्ञानिक मेडिकल एवं साहित्यिक शोध न्सास
हाजीपुर, वैशाली; 9430800409
विषय सूची
सं० शीर्षक
- जीवन में कर्म क्षितिज (सिवान, बिहार)
- रक्षाबन्धन डॉ. जी. भक्त (वैशाली, बिहार)
- प्रार्थना श्रुति (वैशाली, बिहार)
- “मुझे थोड़ा और रुकना था” प्रियशी सूत्रधर (धलाई, त्रिपुर)
- बस एक तमन्ना आदित्य राज (छपरा, बिहार)
- नन्ही थी जब अर्चना कुमारी (सिवान, बिहार)
- अहम हैं जिंदगियां विनीत सिंह (गोपालगंज, बिहार)
- मुझे मत मारो नीती यादव (सारण, बिहार)
- मां अंकित गोस्वामी (गोपालगंज, बिहार)
- पगली ! हँसी नही थी, फ़िल्मो मे देखा था ! साकेत सौरभ (मैरवा, बिहार)
- क्यूँ ? रोशनी मिश्रा (सिवान, बिहार)
- वक्त लगेगा..! स्वाति शर्मा (मुजफ्फरपुर, बिहार)
- “YAAD AATI HAI” Debashish Bhattacharya (NEW DELHI)
- कितने अपने से लगते हो तुम ! बिपिन कुमार (पटना, बिहार)
- उनके एक इशारे पे, मर मिटने को तैयार बैठे हैं रंजन कुमार (सारण, बिहार)
- “बचपन अब कहाँ” राजदीप सरकार (कमलपुर, त्रिपुरा)
- पुत्र v/s कोरोना राजु कुमार राम (सिवान,बिहार)
- बच्चे दिल के सच्चे आदित्य राज (हाजीपुर,बिहार)
- जब गुंज उठी किलकारी अमरजीत कुमार (सारण, बिहार)
- जिंदगी आकांक्षा (सारण, बिहार)
- मेरी जिंदगी शालिन्दी (सिवान, बिहार)
- ऐ वक़्त बिपुल रंजन (सिवान, बिहार)
- “ख़ुशी आज-कल” सुरज कुमार (सीवान, बिहार)
- तुम मेरे लिए क्या हो ? पल्लवी कुमारी (पूर्णिया, बिहार)
- ऐसा हो संकल्प हमारा प्रियांशी प्रिया (हाजीपुर, बिहार)
- कोरोना में बच्चें । आयुषी सिंह (राँची, झारखण्ड)
- आवाज आई हैं । शाहिल सौरभ (हाजीपुर, बिहार)
- आज जब स्वप्न में आओ तो थोड़ा ठहर के जाना भूपाल सिंह फौजदार (भरतपुर, राजस्थान)
- मैं कर रही हूँ इंतजार यहाँ श्वेता सिन्हा (पटना, बिहार)
- लड़का-लड़की भी दोस्त हो सकते हैं दिव्यांशुआनंद (जहानाबाद, बिहार)
I always spent my half an hour to read this web site’s posts everyday along with a cup of coffee.