January 14 and khichdi hindi poems poetry kavita balkavita Dr. G. Bhakta Happy makar Sankranti

 खिचड़ी

 जाड़ा ले आयी जनवरी ।

 लोग उड़ाते चूड़ा दही ।।

 चीनी कितनी महंगी हो गयी ।

 मीठा पर भी गरमी आ गयी ।।

 पानी वाला दूध मंगाया ।

 किसी तरह से दही जमाया ।।

 छाली पड़ी न उस पर थोड़ी ।

 चूड़ा पर से बह गई मोड़ी ।।

 भूड़ा डालकर काम चलाया ।

 किसी तरह सकरात मनाया ।।

 तिलबा , मूढ़ी और कसाढ़ ।

 बच्चे सबने कर ली मार ।।

 छत पर देखो उड़ी पतंग ।

 करदी सबकी नाको दम ।।

 बनी रात को खिचड़ी सुन्दर ।

 मम्मी थी किचेन के अन्दर ।।

 चोखा पापड और अचार ।

 सब्जी की लग गयी भरमार ।।

 कौर उठाया पहले भैया ।

 दही डाल दी उसमें भैया ।।

 कितना सुन्दर है सकरात ।

 चूड़ा दही की बरसात ।।

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