Govardhan Poojanotsav Hindi poems Govardhan Pooja गोवर्द्धन पूजनोत्सव

गोवर्द्धन पूजनोत्सव

 ( 1 )

 कथा पुरातन की है भाई ।

द्वापर युग में होती आयी ।।

 देवराज इन्द्र का पूजन ।

 करते थे गोकुल गोपीगन ।।

 कहे कृष्णा बतला दो भैया ।

किस कारण पूजित इन्दरैया ।।

 कही यशोदा सुन गोपाल ।

 गोधन की रक्षा का हाल ।।

 ( 2 )

 इन्द्रदेव वर्षाते जल ।

इसका देखो कितना फल ।।

 घास और अनाज उपजता ।

 इससे प्राणी पोषण पाता ।।

 हम सब पूजा करते उनकी ।

अच्छी खेती होती सबकी ।।

 गैईया का भरता है पेट ।

 उपजाउ होती है खेत ।।

 ( 3 )

 कान्हा बोला सुन लो माता ।

ऐसा काम हमें न भाता ।।

 इन्द्र की पूजा बन्द करो ।

 मेरी अभ्यर्थना सुनो ।।

 गोवर्द्धन पर्वत का पूजन ।

पूरा करेगा सबका भोजन ।।

 तबसे पर्वत लगा पूजाने ।

 बदली प्रथा इसी बहाने ।।

 इन्द्र कोप वश गोकुल आये ।

इतना भीषण जल वर्षाये ।।

 गोकुल पर विपदा वरपाये ।

 शीघ्र कृष्ण ने किया उपाय ।।

 नख पर धारण कर गोकुल को ।

छत्र बना डाला पर्वत को ।।

 सबकी कान्हा जान बचाये ।

 शीघ्र पुरन्दर भी शरमाए ।।

 क्षमा मांग शरण में जाकर ।

बाल कृष्ण को ब्रह्म जानकर ।।

 तब से कृष्ण बने भगवान ।

 गोवर्द्धन – पूजन बना महान ।।

 ( 4 )

 शुक्ल पक्ष परिवा को गोकुल ।

नहीं रहो किंचित शोकाकुल ।।

 जुटकर गोवर्द्धन के नीचे ।।

 भक्ति प्रेम से भरकर सीचें ।।

 पूजन का उपहार सजायें ।

गोकुल के नारी – नर आये ।।

 उत्सव का उल्लास जगाकर ।

 गोवर्द्धन – पूजन किया उजागर ।।

 ( 5 )

 इन्द्र स्वर्ग के राज्य पधारे ।

भारत वासी मंत्र उच्चारे ।।

 इन्द्र जी कोप किये व्रज उपर ।

 नख पर गिरिवर धाराजय प्रभु ।

 नारायण , नारायण ।।

 नारायण हरि , नारायण नारायण ।। नारायण नारायण ।।

 ( इसी प्रकार गीत के रूप में गाना है । )

 ” इति गोबर्द्धन पूजाख्यानम् ! “

 डॉ ० जी ० भक्त

One thought on “गोवर्द्धन पूजनोत्सव”
  1. अति रोमांचक और भक्ति भरी अभिब्यक्ति भारतीय संस्कृति का गायन ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *