नेता जी

क्षितिज उपाध्याय “किशोर”

नेता बुजुर्ग ,
खुद को समझते है ,
जैसे चिड़ियों के बीच सुतुर्मुग ,
ये बुजुर्ग हड्डियों की ठठरी ,
उपदेश की गाठरी
जब खोलते है ,
तो सुनते नहीं सिर्फ बोलते की,
” इतना चलेगा या दो चार झूठ और बोल दू ।
नहीं तो घोटाला करते फिरो,
देश कोअ बदनाम करते फिरो।

9 thoughts on “नेता जी”
  1. I really like your writing style, superb info, thanks for putting up :D. «I hate mankind, for I think myself one of the best of them, and I know how bad I am.» by Joseph Baretti.

Comments are closed.