प्रार्थना, ब्रह्म सृष्टि और देव अनेको, गुरु पितु-मातु फिर मित्र घनेरो।
प्रार्थना श्रुति (वैशाली, बिहार) ब्रह्म सृष्टि और देव अनेको । गुरु पितु-मातु फिर मित्र घनेरो ।। भूमि धेनु सरिता फिर पर्वत । तरु फल फूल बादलनभ वर्षत ।। जिनका कृपा…
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हिंदी कविता
प्रार्थना श्रुति (वैशाली, बिहार) ब्रह्म सृष्टि और देव अनेको । गुरु पितु-मातु फिर मित्र घनेरो ।। भूमि धेनु सरिता फिर पर्वत । तरु फल फूल बादलनभ वर्षत ।। जिनका कृपा…
नारी कभी तू अशिक्षिता निरस्मिता अबला थी ।पराजिता परिमिता कभी असूर्यमपथ्या थी ।। आज तेरी आभा चतुर्दिक विखर रही ।उत्साह की अविरल प्रयासे उभर रही ।। विकास के बादल की…
पुत्रिया पुत्रियाँ उपवन की कलियाँ हैं । सृष्टि की शास्वत संचालिका हैं । संस्कृति की पालिका हैं । मातृत्त्व की साधिका हैं । जगत की मातृका हैं । प्रकृति की…
जागो हे जगत पति जगदीश डा० जी० भक्त जग के पालक जन प्रति पालक ।हे परमेश्वर जन सुख दायक ।।कण – कण में जो सदा व्यापता ।तू ही दया निधि…
गौरव और सौरभ बिहार का डा० जी० भक्त कान खोलकर सुन ले दुनियाँ राज्य की गाथा पुरानी ।नित सुनाती थी मुझे जब गीत गाकर वृद्ध नानी ।।मगध का इतिहास गौरव…
काव्य कुंज डा ० जी ० भक्त इन बाल कविताओं में , जो मुखर हो रहे बालक । जो बन रहे भारत माँ के , यान के संचालक ।। क्या…