वसन्तोत्सव
वसन्तोत्सव डॉ० जी० भक्त सरसो के फूलों से सजकर , अमुआँ के मंजर से मिलकर , चली हवा लेकर मकरंद । शिशिर महीना माघ , वसंत । । नदियो की…
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हिंदी कविता
वसन्तोत्सव डॉ० जी० भक्त सरसो के फूलों से सजकर , अमुआँ के मंजर से मिलकर , चली हवा लेकर मकरंद । शिशिर महीना माघ , वसंत । । नदियो की…
जागरण गीत डॉ० जी० भक्त जागरण के गीत हम गायें गमों से दूर हटकर । देश का उत्थान चाहें , कर परिश्रम खूब डटकर । । हम कृषक मजदूर अर्जक…
जिंदगी में कुछ करते जाओं क्षितिज उपाध्याय “किशोर” मकसद खास होना चाहिए, जिंदगी जीने का, यारों। भरोसा मत करना, खुद से ज्यादा किसी पर, यारों। क्योंकि अंधेरें में परछाई भी…
रंग बदलती दुनिया क्षितिज उपाध्याय “किशोर” इस रंग बदलती दुनिया, इंसान की नियत ठीक नही। क़भी वों देवता या फिर, कभी शैतान होता हैं। रंग बदलता गिरगिट-सा, अजब का वह…
जीवन में कर्म क्षितिज उपाध्याय “किशोर” हर दिन कर्म करते है, लोग जिसको याद करते है, सब लोग सब कुछ कॉपी करते है, लोग कर्म नहीं करते भी है, लोग…
नेता न.1 से 10 क्षितिज उपाध्याय “किशोर” नेता न.I पास में रखे गन। नेता न. II खाये शू। नेता न. III गारी में चढ़े फ्री। नेता न. IV पूरा है…