Category: हिंदी कविता

हिंदी कविता

हम आशिक है उनके, उनके एक इशारे पे , मर मिटने को तैयार बैठे हैं |

उनके एक इशारे पे , मर मिटने को तैयार बैठे हैं | उनके एक इशारे पे , मर मिटने को तैयार बैठे हैं | हम आशिक है उनके , उनके…

“बचपन अब कहाँ ” , “बचपन अब कहाँ ” तलाश ता रहता हूँ इंटरनेट पर, बचपन को हर रात, इतनी जल्दी क्यों बड़े हो गए?

“बचपन अब कहाँ “ “बचपन अब कहाँ “ तलाश ता रहता हूँ इंटरनेट पर बचपन को हर रात इतनी जल्दी क्यों बड़े हो गए? पर बचपन में तो जवानी थी…

मां तो मां ही होती है , जब गुज़ उठी किलकारी, घर के आंगन में सब हसे लेकिन मैं रो रहा था।

जब गुज़ उठी किलकारी जब गुज़ उठी किलकारी, घर के आंगन में सब हसे लेकिन मैं रो रहा था, क्योंकि मैं उस समय मा से लिपटकर उसकी हुई दर्द महसूस…

जिंदगी; , जहां हर बच्चा कागज की कश्ती का दीवाना था सच कहूं तो वह बड़ा ही खूबसूरत जमाना था …।

जिंदगी 1. जब दादी की कहानियां ही लोरी थी और दादी का गोद ही सिरहाना था सच कहूं तो वो बड़ा ही खूबसूरत जमाना था स्कूल जाने की ख़्वाहिश तो…

ऐसा लगता है, की जैसे खत्म मेला हो गया , सोचता हूं कैसे खुद को शादी के लिए समझाया होगा?

ऐसा लगता है, की जैसे खत्म मेला हो गया, अब उड़ जाएगी, आंगन से चिड़िया घर अकेला हो जायेगा। उस दिन मेरी दोस्त को दुर जाने का ख्याल आया होगा…

गरीब और मजदूर , पढ़ लिख कर, पुलिस या डॉक्टर, तो नही बन पाया ।

गरीब और मजदूर 1:-सियासी असूल में, जो आग लगती हैं। पर उसमें अक्सर, गरीब ही जलाते हैं। जहां से कभी, हम चले थे। आज भी वही, खड़े हो गये ।…