रंग बदलती दुनिया

रंग बदलती दुनिया क्षितिज उपाध्याय “किशोर” इस रंग बदलती दुनिया, इंसान की नियत ठीक नही। क़भी वों देवता या फिर, कभी शैतान होता हैं। रंग बदलता गिरगिट-सा, अजब का वह…

नेता जी

नेता जी क्षितिज उपाध्याय “किशोर” नेता बुजुर्ग , खुद को समझते है , जैसे चिड़ियों के बीच सुतुर्मुग , ये बुजुर्ग हड्डियों की ठठरी , उपदेश की गाठरी जब खोलते…

साड़ी बीच नारी है, की नारी बीच साड़ी

साड़ी बीच नारी है, की नारी बीच साड़ी क्षितिज उपाध्याय “किशोर” साड़ी बीच नारी है, की नारी बीच साड़ी, साड़ी ही की नारी है, नारी ही की साड़ी, पाँच गज…

प्रेम शिकार

प्रेम शिकार क्षितिज उपाध्याय “किशोर” मेरे दिल की बगिया में फूल बन आयी थी, भावों के बगिया में भौरा बन गुनगुनायी थी, साथी बनकर मंदिर में खुशियों को सजायी थी,…