यह कैसा खेल, क्या खेल खेलते हो तुम , क्यानाच नचाते हो तुम ।
यह कैसा खेल क्या खेल खेलते हो तुम , क्यानाच नचाते हो तुम । क्या मानवता का विकृत विद्रूप रचाते हो तुम ।। दुनियाँ वालों मैं पूछू क्या यही है…
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यह कैसा खेल क्या खेल खेलते हो तुम , क्यानाच नचाते हो तुम । क्या मानवता का विकृत विद्रूप रचाते हो तुम ।। दुनियाँ वालों मैं पूछू क्या यही है…
गुगल्स को नववर्ष की सुखद सम्वेदना प्रेषित नव वर्ष को अर्पित समर्पित विश्व को संगीत । सम्वेदना की पीड देती । चेतना के गीत ।। उस वेदना की चिर स्मृति…
खिचड़ी जाड़ा ले आयी जनवरी । लोग उड़ाते चूड़ा दही ।। चीनी कितनी महंगी हो गयी । मीठा पर भी गरमी आ गयी ।। पानी वाला दूध मंगाया । किसी…
फल फल गुणों का है भंडार । फल से भरा – पड़ा संसार ।। खट्ठा , मीठा और रसीला । इमली , अमरुद , ककड़ी , खीरा ।। केला ,…
खेत खलिहान उठो सबेरे हुआ बिहान । खेती करने चला किसान ।। कृषि प्रधान देश की गरिमा । हरित क्रान्ति की है यह महिमा ।। हरी – भरी है खेत…
होली आयी होली है त्योहार रंग का । हँसी – खुशी , उत्साह उमंग का ।। खाते और बजाते ढोल । भंग रंग का है माहौल ।। भाभी सब्जी काट…