मेरी जिंदगी

मेरी जिंदगी शालिन्दी (सिवान, बिहार) अपनी जिन्दगी पे किताब लिखूंगी,उसमे सारे हिसाब लिखूंगी,प्यार में बेरोजगारी लिख कर । चाहतो को जिम्मेदारियों के बाद लिखूंगी । ।अपनी जिन्दगी पे किताब लिखूंगी,और…

“मुझे थोड़ा और रुकना था”

“मुझे थोड़ा और रुकना था” प्रियशी सूत्रधर (धलाई, त्रिपुरा) “मुझे थोड़ा और रुकना था”प्रियशी सूत्रधर,आखिर एक दिनमेरे दिमाग ने दिल सेयह सवाल पूछ ही लिया,आखिर तुमने खोया ही क्या ?जो…

कितने अपने से लगते हो तुम

कितने अपने से लगते हो तुम बिपिन कुमार (पटना, बिहार) कितने अपने से लगते हो तुमजबकि जालिम दुनिया की नजरों मेंकितना जुदा मुझसे रहते हो तुम ।न मिलना एक पल…