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कविता के कचरे

कविता के कचरे डॉ० जी० भक्त हम भारत वासी हैं।हमारी विश्व में ख्याति है ।।जिसे दुनिया उत्सवों पर गाति है ।।हमारी धार्मिक संस्कृति है।प्रभुत आध्यात्मिक शक्ति है।।पर्वो पर सजावट सुहानी…

जंग जीवन देन के लिए, जान लेने के लेने नहीं

जंग जीवन देन के लिए, जान लेने के लेने नहीं डा० जी० भक्त (1) काल के गाल से गुजरती मानवता को,शान्त्वना का संदेश कितना धीरज बंधायेगा ?जुझती समस्या की आग…

मेरी जिंदगी

मेरी जिंदगी शालिन्दी (सिवान, बिहार) अपनी जिन्दगी पे किताब लिखूंगी,उसमे सारे हिसाब लिखूंगी,प्यार में बेरोजगारी लिख कर । चाहतो को जिम्मेदारियों के बाद लिखूंगी । ।अपनी जिन्दगी पे किताब लिखूंगी,और…

“मुझे थोड़ा और रुकना था”

“मुझे थोड़ा और रुकना था” प्रियशी सूत्रधर (धलाई, त्रिपुरा) “मुझे थोड़ा और रुकना था”प्रियशी सूत्रधर,आखिर एक दिनमेरे दिमाग ने दिल सेयह सवाल पूछ ही लिया,आखिर तुमने खोया ही क्या ?जो…