Author: Kshitij Upadhyay KISHOR

मेरी बगिया , सुन्दर लगती मेरी गगिया  ,हरी – भरी है जिसकी पतिया ।

मेरी बगिया सुन्दर लगती मेरी गगिया । हरी – भरी है जिसकी पतिया ।। फल- -फूलों का है भंडार । नींबू , अमरुद और अनार , लीची , आम ,…

 बरसात , गर्मी गयी,आयी बरसात,पानी पड़ता है दिन – रात ।

बरसात गर्मी गयी , आयी बरसात । पानी पड़ता है दिन – रात ।। काले बादल घूम रहे हैं । धरती को वे चूम रहे हैं ।। बच्चे खुश हो…

मेरी बगिया  , जब भी घर पर छुट्टी पाओ , उस दिन मेरी बगिया आओ ।

मेरी बगिया जब भी घर पर छुट्टी पाओ । उस दिन मेरी बगिया आओ । तरह – तरह के फूल खिले हैं । मेरे मन के रंग मिले हैं ।।…

 नया वर्ष ,गया दिसम्बर जनवरी आयी , घर – घर में खुशियाली छायी ।  

नया वर्ष गया दिसम्बर जनवरी आयी । घर – घर में खुशियाली छायी ।। छूट रहा है आज पटाखा । खत्म हुआ सब कष्ट निराशा ।। खायें , खेले लिए…

भूल किसकी,कह सकता है कोई मुझकों राष्ट्र का द्रोही,चल बतलाये जनमत उसने कैसे खो दी ।

भूल किसकी 1 कह सकता है कोई मुझकों राष्ट्र का द्रोही । चल बतलाये जनमत उसने कैसे खो दी ।। देश आपका ही था , मतदाता थे अपने । सेवा…

 गिरती गरिमा का परिदृश्य, हम भरत के वंश हरि के दंत गनिते ।

गिरती गरिमा का परिदृश्य 1 हम भरत के वंश हरि के दंत गनिते । दिव्य वेदों की ऋचायें याद करते ।। आज गरिमा जो हमारी गिर रही है । और…