Author: Kshitij Upadhyay KISHOR

रक्षाबन्धन , आया राखी का त्योहार , सुन्दर लगते घर बाजार ।

रक्षाबन्धन – 1 आया राखी का त्योहार , सुन्दर लगते घर बाजार । देखो बीता सावन मास , बहन संजोकर बैठी आस ।। भाई का करके अभिवंदन , लगा भाल…

ऋतुराज वसंत , शिशिर समीर सुखद बह वायु ,मधुमय सुरभित – पोषक आयु ।

ऋतुराज वसंत शिशिर समीर सुखद बह वायु । मधुमय सुरभित – पोषक आयु ।। विगत शीत उष्राता लाकर । वन उपवन जागृति जगाकर ।। विटप वृन्द वट पीपल पर्कट ।…

बरसात, देखो आयी है बरसात , बूंदे पड़ती हैं दिन – रात ।

बरसात देखो आयी है बरसात , बूंदे पड़ती हैं दिन – रात । छायी हुई घटायें काली , दिन में फैल गयी अंघियाली ।। पानी पड़ता जोर – शोर से…

सदाचार, है सुबह सुहाना , रोज नहाना ,लगता मुझको प्यारा ।

सदाचार है सुबह सुहाना , रोज नहाना , लगता मुझको प्यारा । स्वच्छ बनाता हमे सजाता , देता जीवन न्यारा ।। नियमवद्ध होकर चलना , सिखलाता हमको बढ़ना । दुनियाँ…

संसार, खेत हमारी हरी भरी है ,उसमें गोभी लगी हुयी है ।

सब्जी संसार खेत हमारी हरी भरी है , उसमें गोभी लगी हुयी है । बैगन की मत पूछो भाई , सुन्दर लगती पीली राई ।। मूली गाजर और चुकन्दर ,…

वन जीवन , वन जीवन, एक दिन गाँव का चूहा निकला अपने बिल से, जाकर बोला भालू काका ! कहता हूँ मैं दिल से।

वन जीवन एक दिन गाँव का चूहा निकला अपने बिल से । जाकर बोला भालू काका ! कहता हूँ मैं दिल से ।। बड़ा जुर्म है हम जीवों पर जीना…