जिंदगी में कुछ करते जाओं
क्षितिज उपाध्याय “किशोर”
मकसद खास होना चाहिए, जिंदगी जीने का, यारों।
भरोसा मत करना, खुद से ज्यादा किसी पर, यारों।
क्योंकि अंधेरें में परछाई भी साथ छोड़ जाती हैं।
इंसान सब कुछ कॉपी करा सकता है,
लेकिन किस्मत और नसीब नहीं।
विकल्प नहीं होता, कड़ी परिश्रम का, यारों
दिल में हो जज्बा कुछ कर दिखाने का,
आंधियों का डर नहीं होता, जलते दियो को।
उठो, और अपने मन चाहे सपने पूरे करों,
या सोते रहो, और अपने मन चाहे सपनें देखते रहो।
अरे दुनिया जितने का हौसला रखों, यारों
क्योंकि एक जीत या हार से कोई,
सिकन्दर और फ़क़ीर नहीं बनता ।
अरे कुछ करो वरना पछता ओगे,
दहेज में फूटी कोड़ी भी न पाओगे।
सारी आशाएँ, कर्म पर टिके है, हमारे।
हम सफलताओ के शिखर उन पर।
ऐसे चढ़े की आकाश भी झुक जाये।