चंदामामा

   डॉ० जी० भक्त

फूल – फूल पर उड़ने वाली , आओ तितलो रानी ।
वन – उपवन में गाने वाली , सुन लो कोयल काली । ।
आते चंदा मेरे घर पर कहते रोज कहानी ।
मेरी मम्मी मुझे सुनाती गाकर गीत जवानी । ।

आसमान के तारे आकर मेरे आंगन सब दिन
खाओ खेलो खुशी मनाओ क्यों रहते हो छिन्न भिन्न । ।
मेरा घर है सुखद सलोना सजा धजा मनभावन ।
हरा भरा धाती का आंगन सुरभित उपवन कानन । ।

बादल की कजरारी शोभा रिमझिम पड़ी फुहारें ।
चमक – दमक बिजली की रेखा गर्जन की ललकार । ।
मेढक के मधुरिम गीतो में मजदूरों की तानें ।
नदियों की बहती धारा में नावों की भरमार । ।

इतनी सुन्दर सारी बातें नील गगन में तेरे ।
होती हो तो ले चल मुझको , चन्दा मामा मेरे । ।
मेरे साथ चलेगी मम्मी , गुड़िया , गुटरु , अनू ।
ब्यूटी , अंटी , भैया , दीदी , गीता , रानी , चुन्नू ।।

जिस दिन होगी शरद चाँदनी करकेयाद तुम्हारी ,
थाली में ले खीर मिठाई , पूजाकरूँ तुम्हारी ।
चांदी सी उजली रातों में , सोने – सी किरणों पर ,
धीरे – धीरे उतर गगन से आकर मेरी छत पर । ।

प्यार भरा मीठा अमृत का पान कराना मुझको ।
अमर बनाना ज्ञान प्रभा से , शीतल करना सबको । ।
प्यार भरी मेरी चिट्ठी का उत्तर कभी न भुलना ।
रोज सवेरे दर्शन देकर , कुशल हाल तुम पूछना । ।

वहीं रहूंगी पढ़ती लेकर अपनी पुस्तक कॉपी ।
साथ हमारे शिक्षक होंगे , और हमारे साथी । ।
तुम दुनियों को दिशा दिखाते , बनकर सजग सिपाही ।
वैसे ही दिखला जा मुझको आसमान के राही ।।

डॉ० जी० भक्त

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