सुरसरिता

नदियो में पानी है बहता ,
और झील में स्थिर रहता । ।
जब पर्वत पर वर्फ पिघलता ,
तब धरती पर निर्झर झरता । ।
धरती के अंदर जल रहता ,
और गगन बादल बरसाता । ।
बह – बह कर सरिता से सागर
गरज – गरज कर है लहराता । ।
सागर से जलयान गुजरता ,
नदियाँ नौका जाल बिछाती । ।
शहर नगर बसते तट इसके ।
खेतो में हरियाली लाती । ।
नदियों से संस्कृति है जन्मी ,
जीवन दायिनी है सुरसरिता । ।
गंगा – यमुना गोद खिलाती ।
कलकल कर रचती है कविता । ।
जल से जीवन , जीवन से लय ,
लय से सुर , सुरलय से कविता ।
वैसे कविता से है झरती
गायन की मधुरिम सुरसरिता । ।

डॉ0 जी भक्त,

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