तूम उठो ।
अब रात भर के चिन्तनों में वेग भर दो ।
उठ पवन के साथ गति को तेज कर दो ।।
देख सूरज तेज से जग को जगाना ।
उष्णता से ओस कणिका को भगाया ।।
इस विमल वेला में सुखमय खांस लेकर ।
तन – वदन से दर्द का उच्छवास खोकर ।।
चल पड़ो पथ पर अनेकों जन मिलेंगे ।
जुड़ सको , अगणित अमित जन साथ देंगे ।।
और संध्या आरती लेकर बढ़ेगी ।
वेदना की पीड़ सरबस वह हरेगी ।।
अब तो नारी फिर हमारी संगिनी है ।
देश के हित हेतु सबका साथ देगी ।।
दुश्मनों को दुर्ग से दुत्कार देगी ।
सैन्य बल को गरल की फुत्कार देगी ।
भाई , जो विकराल काल कराल – सा है ।
उस अनल की दाह पर बौछार देगी ।
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