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 व्रत त्योहार

 ( 1 )

 देश हमारा बडा अनोखा ।

इसमें कहीं नहीं है , धोखा ।।

 सत्य हमारी जीवन शैली ।

 कभी नहीं होती यह मैली ।।

 धर्म प्रधान कहाता भारत ।

जिसकी उँची खड़ी इमारत ।।

 हम सब इनको है अपनाते ।

 जीते गाते और मनाते ।।

 ( 2 )

 इनकी प्रथा पुरातन भाई ।

त्यागो तर्क न करो लडाई ।।

 संस्कृति को सृजा और पाला ।

 बड़े यत्न से इसे संभाला ।।

 इसे भुलाना बड़ा पाप है ।

घोर अनास्था और शाप है ।।

 करते हम इसका संवरण ।

 पूजन , भजन और स्मरण ।।

 ( 3 )

 जुड़ी कहानी इसके साथ ।

लेकर चलना अपने माथ ।।

 याद दिलाता है इतिहास ।

 ऐसा रखकर ही विश्वास ।।

 जैसे होली और दिवाली ।

जीवन न उत्सव से खाली ।।

 छठ व्रत गोवर्द्धन पूजा ।

 उसी तरह है भ्रातृ दूजा ।।

 ( 4 )

 गिन – गिन दिन हम करते याद ।

मानव धर्म नहीं अपवाद ।।

 बारह मास दिवस फिर सात ।

 कितनी अच्छी है यह बात ।।

 सात नाम और तिथियाँ तीस ।

सबदिन पर्व हमारे शीश ।।

 चारो युग की कथा अनंत ।

 और जगत के देव पर्यन्त ।।

 ( 5 )

 साक्ष्य बने है कथा पुराण ।

जिनका करते हम गुणगान ।।

 इनकी महिमा हर कोई गाते ।

 सात्विक मन से है अपनाते ।।

 कर्म वचन मन ध्यान लगाते ।

श्रद्धा भक्ति प्रेम जगाते ।।

 जीवन का यह उत्तम साधन ।

 इससे होता कष्ट निवारण ।।

( 6 )

 कार्तिक का यह पावन मास ।

धर्म कर्म पर रख विश्वास ।।

 कष्ट मुक्ति का दिन है समरस ।

 जिसका नाम पड़ा धन तेरस ।।

 तिथि चतुर्दशी आयी काली ।

यमरात्रि का दीप निकाली ।।

 लंका विजय सिया लौटाली ।

 अवधपुरी में मनी दिवाली ।।

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