रक्षाबन्धन – 1
आया राखी का त्योहार ,
सुन्दर लगते घर बाजार ।
देखो बीता सावन मास ,
बहन संजोकर बैठी आस ।।
भाई का करके अभिवंदन ,
लगा भाल में रोली चन्दन ।
जीवन का मीठा स्पन्दन ,
प्रकट हुआ है रक्षाबन्धन ।।
बहन बढ़ाती प्रेम मिठाई ,
खाकर खुश है सबका भाई ।
मेरे घर पर मामा आये ,
मम्मी से राखी बंधवाये ।।
राखी धागों का त्योहार ,
मुखरित लगता है घर – द्वार ।
फूलों से राखी बनवायी ,
सुरभित , शोभित आज कलाई ।।
जब तक चमके चांद सितारा ,
भाई बहन का एक सहारा ।
अमर रहे यह पर्व हमारा ,
हम बच्चों का एक ही नारा ।।
बहन प्यार की अविरल धारा ,
भाई स्नेह का है ध्रुवतारा ।
कच्चे धागे का यह पर्व ,
याद दिलाता पक्का धर्म ।।
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