ईंख
बच्चों को लगती है भूख ।
उनको मीठा लगता ऊँख ।।
उससे ही है चीनी बनती ।
वह सबकुछ को मीठा करती ।।
गुड़ और शक्कर मत भूलो ।
मीठा शरबत तुम भी पीलो ।।
मिश्री कितनी मीठी लगती ।
बच्चों को है प्यारी अँचती ।।
इसको गन्ना कहते भाई ।
हरेक किस्म की बनी मिठाई ।।
हलवा हो या बुनिया खीर ।
इसके बिना न होता मीठ ।।
रोपो गन्ना , चूसो ईंख ।
मेहनत करके जीना सीख ।।