कौआ
कौआ तन मन का काला है ।
कोयल बस तन की काली है ।
दोनों मे इतना अन्तर ,
कोयल की बात निराली है ।।
कोयल की मीठी बोली ,
कानों में रस बरसाती है ।
कौये की तीखी बोली ,
कानों में चुम – चुम जाती है ।।
कोयल का है मोहक गाना ,
सबके मन को भा जाता है ।
कौवे का है कडुवा गाना ,
सुनते ही मन घबड़ाता है ।
बच्चों तुम भी मीठा बोलो ,
कभी न कड़वी बात करो ।
सबके मन की ही तुम बोलो ,
हर को दिल से प्यार करो ।।
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