कोरोना में बच्चें ।
आयुषी सिंह (राँची, झारखण्ड)
कोरोना ?
कैसा रोना ?
फूट – फूट कर रोना ।
नहीं भाई – खूब मज – मज कर हाथ धोना ।
सैनेटाइजर लगाना , मास्क चढ़ाना ।
घर में रहना , कही न जाना ।
बाजारों को बन्द कराना ,
सड़कों पर दूकान चलाना ।
दिन को छूट , रात को कर्पयू ,
तीन फीट पर लाइन लगाना ।।
आशा गयी , निराशा आयी ।
त्रास समाया , श्वांस विदायी ।।
प्राण वायु मिल रहा न भाई ,
वेंटीलेशन भी नहीं पायी ।।
भय का भाव भोगते सब हैं ।
मरने वाले भी क्या कम हैं ।।
वैक्सीन आयी टेंशन गयी ।।
कोविड की कई वैरिएण्ट आयी ।।
नही खुला स्कूल हमारा ।
दो वर्ष का समय गँवाया ।।
इधर आय का साधन टूटा ।
भीतर – भीतर गुस्सा फूटा ।।
आह भरो मत , राह बताओ ।
दवा नहीं तो दुआ दिलाओं ।।