एक ही म्यान के दो तलवार
डा० जी० भक्त
यह देश भारत वर्ष है, इसका अलग आदर्श है।
जितता सदा संघर्ष है, देता सदा उत्कर्ष है ।।
आये वतन में वीर द्वय संकल्प के पक्के मगर ।
शान्ति पथ पर मर मिटे पहचान देकर बन अमर ।।
गाँधी, बहादुर लाल को हम याद करते एक दिन ।
है बना यादगार जग में युगल जन का जन्म दिन ।।
एक सत्य अहिंसा के पुजारी, दूसरे शान्ति समर्थक ।
सादगी सह सौभ्यता के विश्व व्यापी शीर्ष साधक ।।
दोनों निछावर राष्ट्र की स्वतंत्रता की आन पर।
एक भगवन्नाम लेकर स्वर्ग साधन जान पर ।।
हे राम ! का उच्चारण सुनकर रो पड़ा सारा जहान ।
ताशकन्द में भी सुनाया जय जवान जय किसान ।।
उसी रूस ने आज युद्ध में कैसी नशीहत पायी है।
सोच पाया है कभी हमने सीख क्या पायी है ।।
शास्त्री जी ने कहा युद्ध कभी समस्या का हल नही।
आज दुनियाँ कह रही यह युग की कभी पुकार नही ।।
मैं न कहता सब कहते है शान्ति एकता परम जरुरी ।
भारतवासी का है कहना मत रखना मानव से दूरी ।।
लेकिन हम तलवार नही है हम हैं मानव एक समान ।
जीना मरना साथ -साथ है लक्ष्य हमारा जन कल्याण ।।
Hey, thanks for the post.Much thanks again. Cool.