दिवाली
देखो आयी आज दिवाली ।
घर – घर में छायी उजियाली ।।
सजा धजा है सबका आंगन ।
लगता है कितना मन भावन ।।
दीपक और फुलझड़ियाँ जलते ।
बम और पटाखे फटते ।।
हँसी – खुशी का यह त्योहार ।
जगमग लगता हाट बाजार ।।
बिजली की शोभा है न्यारी ।
परंग बिरंगी रौशन वाली ।।
जैसे आसमान में तारे ।
वैसे झलमल दीपक सारे ।।
बच्चों को है नींद न आती ।
मम्मी उन्हें सुलाने जाती ।।
जब मन में छाये अंधियाला ।
ज्ञान दीप से करो उजाला ।।
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