चिड़िया
चिड़िया गाना गाती है ।
दाना चुन – चुन खाती है ।
बच्चों को बहलाती है ।
छू दो तो उड़ जाती है ।
पेड़ो पर है उसका घर ।
रंग बिरंगे उसके पर ।
चोंच अजब निराली है ।
वह कितनी मतवाली है ।
घोंसला ही राजधानी है ।
वह नील गगन की रानी है ।
ये चिड़िया । तू मुझको भी ,
उड़ने की शिक्षा दे दी ।
लेकिन कितनी महंगी है ।
मुझको तुमसे कहनी है ।
मुझको भी जो होते पंख ।
मैं भी उड़ता तेरे संग ।
कितना सुन्दर लगता तब ।
तेरे जैसा उड़ता जब ।।
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