होली
होली को त्योहार हर्ष का ।
हँसी – खुशी है नये वर्ष का ।।
है वसन्त का समय सुहावन ।
भौरोंका गुंजन मन भावन ।।
वन – उपवन की शोभा न्यारी ।
सुरभित है फूलों की क्यारी ।।
लोग मस्त हो झूम रहे हैं ।
झोली लेकर घूम रहे हैं ।।
भर कर मेवे और गुलाल ।
भंग भरी है सब की चाल ।।
खा – पीकर सब मस्त बने हैं ।
वैरी भी अब मित्र बने हैं ।।
जाति रंग का भेद नही है ।
भले बुरे का खेद नहीं है ।।
जली होलिका हुआ बिहान ।
गली – गली में बिखरा गान ।।
ढोल , झाल और डंफ बजाते ।
बच्चे बूढ़े नाचते – गाते ।।
भैया , भाभी , साली , जीजा ।
नयी – नवेलिन और भतीजा
सभी डालते रंग घोलकर ।
बड़े प्यार से हृदय खोलकर ।।
घर – घर खाते हैं पकवान ।
कैसा सुन्दर पर्व महान ।।
पूआ , पूड़ी , बड़ी , फुलौड़ी ।
आलू चप और बनी कचौड़ी ।।
हलुवा , चटनी और सिंघारा ।
अच्छा लगता है दहीवाड़ा ।।
कीचड़ , धूल , पोटीन अलकतरा ,
मानव को इससे है खतरा ।
होली में मत उसे लगाओ ,
प्रेम भाव से गले लगाओ ।।
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