दीपावली
जगमग – जगमग दीप जले है ,
मिट गयी है अंधियाली ।
फुलझड़ियाँ घर – घर में झड़ती ।
लायी खुशी दिवाली ।।
हाट – वाट मं गली – गली में ,
है बिजली की झिलमिल ।
बच्चे बूढ़े और जवान सब ,
हँसते गाते हिलमिल ।।
आज गंदगी नही कही है ,
नही लड़ाई झगड़े ।
हँसी – खुशी से भरा – नगर है ,
पग – पग मोती बिखरे ।।
मम्मी पापा सभी – जुटे है ,
मामा , भैया , भाभी ।
मन में भर आनंद मनाते ,
खुल गयी दिल की चाभी ।।
सजा – धजा है महल झरोखा ,
गुम्वद गेट सुहावन ।
रंग – विरंगे बल्वों की ,
शोभा लगती मन भावन ।।
रुवी गाती गीत खुशी के ।
भैया सुनकर हँसता ।।
शुचि हमारी हर्षाती है ,
सुन गुटरु की कविता ।।
ऐसी सुन्दर रही दिवाली ,
भोजन और मिठाई ।
खा – पीकर सब मस्त बने हैं ,
आपस में सब भाई ।।