दशहारा, नवरात्रा, शारदीय नवरात्रा अथवा दुर्गा पूजा

व्रत त्योहार यादगार या उत्सव श्रद्धांजलि हो।
एक भाव है स्नेह जताना सृष्टि या प्रकृति हो।।
संस्कृति माने या अतीत स्नेह जता कर गाये गीत।
जीवन ज्योति प्रेम का पोषण संरक्षण प्रगति मेरे हित ।।
हम श्रद्धालु व कृपालू दीन दयालू सबके पालक।
धरती जल, आकाश जीव-वनस्पति बने सहायक ।।
हम सब बने आराधक साधक उनके ही गुण गायक।
जिनने जन्म दिया मानव को मानव में आत्मीयता ।।
भक्ति भाव आश्रय लेकर चलाना है मानवता।
हम ईश्वर के ईश्वर सबके सबकी रक्षा करते।।
यही सोच अपनाना सबको ईश्वर के गुण गान।
जिनके जीवन त्याग बने कल्याण मार्ग के पोषक ।।
उनके कर्म अमरता पाकर सदा ध्यान में आते।
कभी न भूले, सब दिन पूजे भक्ति र्मा अपनाएँ ।।
उनके नाम, कर्म, जन्मदिन, श्रद्धा सुमन चढ़ाये।
सब दिन से यह होता आया होता सदा रहेगा।।
जन उन्नायक जो कहलाये सदा सभादर पाये।
खास दिवस पर व्रत का साधन करते सब दिन आये ।।
दूर्गा पूजा छठ, दिवाली, गोवर्द्धन, भई दूज, ।
पूजन, आत्मा, शुद्धि, तीर्थाटन, मेला है उत्सव ।।
धर्म ध्वजा फहराना मूर्ति पूजन खुशी मनाना।
घर-घर मे आनन्दम सुभाजन मिलन भेद का भंजन ।।
माता दूर्गा का आराधन नौ दिनों का है त्योहार।
बना हुआ व्यवहार सामाजिक जीवन का ध्रुव तारा।
हृदय शुद्धि लाता है जन में बना पवित्र सहारा ।।

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