नागपंचमी

धर्म ध्वजा फहराता जग भारत माता के पूजन में।
मिट्टी जल पत्थर सरिता का पूजन करते जन जीवन में ।।
पत्र फूल फल गोमय दूध घृत मधु करते पान।
इसी तरह हर जीव वनस्पति धरती और वन बीज ।।
अंडज पिंडज श्वेदन सारे उड़गन सकल सजीव ।।
नागशेष बाशकि छत्रपति शंखचूर मणिपाल ।
प्रकृति प्रजापति दिग्गज सारे शरण पड़े महिपाल ।।
भुजग महादेव वृषभ चन्द्रधर विष्णु विहंगवर पक्षी।
काक हंस और मोर जहाँ तक सभी देव आरक्षी ।।
ये सब सेवक बने प्रकृति के पालक और पोषकवर।
औषध खाद्य पेय वन-धन-वल और हमारे पक्षघर ।।
सबसे महत ज्य प्रद सारे पर्यावरण सुधारक ।
रोग मिटाये, स्वच्छ बनाये प्रदूषण के शोधक ।।
पालते पूजते रहे सर्वदा जबकि विषधर जीव ।
सारे जग के बनकर रक्षक देव जीव नही, शिव ।।
नाग पंचमी पर्व सर्प के जो धरती के धारक।
महादेव के भूषण बनकर घर-घर के सुखदायक ।।
बालू कुशा कपास दूब और गोबर सिंदुर दूध।
पनस पलास आम्र गंभारी पूज्य प्रसाधन शुद्ध ।।
श्रावण मास दिवस हो पंचम दोनों पक्ष मशहूर ।
लावा दूध प्रवाल पात्र में पुण्य प्रसाद भरपूर ।।
नागपंचमी विषहरी का मेला, गाँव-गाँव में लगता।
इसका लाभ सबों को मिलता जो उपरोक्त विधान जानता ।।

ऊं नाग देवाय नमः

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