भारत का जनतंत्र
डा० जी० भक्त
कर्ता कम और करण,
का ज्ञान कराता हमारा व्याकरण।
तंत्र यंत्र और मंत्र,
का हम पाते हैं विवरण ।।
राजनीति का खेल खेलना,
देश प्रेम का तथ्य हमारा।
जिसके द्वारा चर्चित चालित,
जन तंत्र का बना सहारा ।।
देश की जनता के हित में,
जन की सेवा में जब तत्त्पर।
वैसा तंत्र मंत्र सतपथ का,
लेकर बढ़ता जहाँ परस्पर।।
वही तंत्र जनतंत्र यथार्थ में,
भारत का अतीत दर्शाता।
जिसका अन्मोचन माथुर,
जगदीश चन्द्र को इंगित करता।।
यही पुरूष बन पाया जग में,
गरिमा ज्ञान पहचान का द्योतक।
वैशाली की अमर कथा,
जो बना रहा जनतंत्र का बोधक ।।
जिस मणिमुक्ता मुकुट का धारक,
भारत माता की यह धरती।
आज विश्व में जन जीवन,
का देश भक्ति है पोषण करती।।
वह आदर्श नही विशाल,
हिम गिरि का पत्थर स्वण रजत सा।
वह तो मानस मंदिर में गजित,
जनाकांक्षा का पोषक जैसा।।
कीर्त्ति कान्ति शान्ति की दातृ,
जनतंत्र की घरा हिन्द की।
जिसकी गरिमा ग्रसित कालिमा,
समाचार में नित दिन छपती ।।
हे भारत के युवा मतदाता.
मेरी शुभ कामना आप से।
अपराध कलुष से मुक्त,
देश की कामना करे सुने ध्याान से।।
सतहत्तर अगस्त की आयु,
पाये कितने भोग विभूति।
जन तंत्र मतदान ज्ञान की,
आशा दीदी शिक्षा देती ?
गयी भारत की शिक्षा,
जगत गुरू की गरिमावाली।
जहाँ परीक्षा और नियोजन,
का पथ चोरी को अपना ली।।
मेरी हार्दिक प्रार्थना उनसे,
जो सन चौबोस के उम्मीदवार।
क्या आशा मैं करू आपसे,
जो गारंटी के हकदार ।।