शिक्षक दिवस और हमारे शिक्षक समुदाय

डा० जी० भक्त

अर्पित करते रहे सदा से श्रद्धा सुमन सुशिक्षित जन को ।
और अपेक्षा उनसे रखते प्रेरणा प्रसून हो प्राप्त हम सबको ।।
नही कभी भी कमी रही है भारत में विद्व द्जन गण की टैगोर विवेकानन्द,
बुद्ध और महावीर की भूमि यही थी । ।
दयानन्द स्वामी और गाँधी, सन्त विनोवा और अनेको ।
भारत माता और शारदा के सेवक सच्चे उन जनकों ।।
पूजन करते सभी उन्हे जिनसे सदा प्रकाशित अम्बर ।
इन सबका नेतृत्व छिपाये ज्योतिर्मय है पाँच सितम्बर ।।
इतने पर संतुष्ट नही हम जब तक शिक्षा में अवरोहण ।
सच्ची श्रद्धाजलि की प्रत्याशा पूर्णता में पाये आटोहण ।।
झेल रही दीनता है शिक्षा और क्षरण है राष्ट्रीय गौरव का ।
हमें नहीं है शोभा देता जहाँ निरादर होता ज्ञान का । ।
मान्यता को सम्मान चाहिए जिनमें विश्व को रही प्रतीक्षा ।
गाना गीत सुनाया सबको नही वटाना समये इसको ।।
गुरूजन को सम्मान विभूषण, पोषण और पवरिधान हो उनको ।
उसको नहीं समझते गुरूजन कहाँ गयी उनकी यर्यदा ।
आज भी मिल व्रत अपनाये मर्यादित हो विश्व में शिक्षा ।।

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