आज जब स्वपन में आओ तो थोड़ा ठहर के जाना

भूपाल सिंह फौजदार (भरतपुर, राजस्थान)

आज जब स्वपन में आओ तो थोड़ा ठहर के जाना ।
तुमसे तुम्हारी एक शिकायत करनी है ।
अपने दिल को साथ लाना और मेरे पास बैठ जाना ।
आज इस दिल को तुम्हारे दिल से मंजूर – ए – वगाबत करनी है ।

मेरे पास बैठकर तुम मेरे दिल का हाल पूछना ।
और वादा करो गर मैं रो जाऊं तो तुम रोओगी नहीं ।
ये मत पूछना कि अब रात कैसे कटती है ।
काले पानी की सजा जैसी अब हमको ये रात लगती है ।

बैठा रहता हूं अकेला हर पल तुम्हारी यादों के साथ ।
तुमसे ज्यादा तो तुम्हारी यादें वफादार निकली ये हर घड़ी मेरे साथ रहती हैं ।
तुम्हारी यादें तो हमसे जिन्दगी भर साथ रहने का वादा करती है ।
ना जाने क्यूं तुम्हारे दिल को ही हमसे गिला हर वक्त रहती है ।

मैं गर रो जाऊं तो तुम मेरे आंसू पोंछ् देना ।
थोड़ा सा मुस्कुरा के तुम मुझे अपने गले से लगा लेना ।
बैठना कुछ देर और आज मुझे तेरी बिखरी हुई जुल्फें सवारनी हैं ।
और तुमसे तुम्हारी एक शिकायत करनी है ।

आज इस दिल को तुमसे हालात – ए – गुफ्तगू करनी है ।
वादा करो तुम यहाँ से जाने के बाद रोओगी नहीं ।
मेरी जिंदगी आज मुझे तेरे नाम करनी है ।
तुमसे तुम्हारी एक शिकायत करनी है ।

काव्य कुंज कलिका ( कविता संग्रह ) / Kavya Kunj Kalika (Poetry Collection)

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