स्वतंत्र भारत
डा. जी. भक्त
तुझे नमन ! तेरा खिला रहे चमन !!
हम एक अरब चालीस करोड़ जन ।
जो रच रहे अपना सुखमय जीवन ।।
खेत खलिहान वन बाग और उपवन ।
शस्य श्यामल धरा और नीला गगन ।।
शीतल मद सरभित सुखद पवन ।
आसमुद्र हिमालय का निर्मल वातावरण ।।
हरित पत्र पुष्प विभुषित कलित उद्यान ।
खाद्यान्न खदान उद्योग और प्रतिष्ठान ।।
संस्थान अनुसंधान और पर्वत जहान ।
शिक्षा संस्कृति धर्म योगानुष्ठान ।।
अगणित उपलब्धियाँ परिवर्त्तन उत्थान ।
सुशोभित वतन का गुजित जयगान ।।
जिनमें मुखरित है सैनानियों का वलिदान ।
सादर नमन समर्पित मेरा भारत वर्ष महान ।।
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