देश की मूल समस्या
सैंतालिस में तीस करोड़ ।
अरब से आगे आज है लोग ।।
इसमें थोड़े खरब पति हैं ।
बाकी सबको बड़ी क्षति है ।।
जो कमाये , वही दुख पाये ।
करे अनीति वह गंग नहाये ।।
शिक्षा , स्वास्थ्य और रोजगार ।
पूँजी वाले का अधिकार ।।
मेधा , मिहनत भांड़ में जाये ।
पैसा वाले ही सब पायें ।।
सच्चा मित्र दलाल है भाई ।
जिसके चलते सबकुछ पायी ।।
है लाचार जो इमानदार है ।
सबसे पीछे होनहार है ।।
कहो दोष है इसमें किसका ?
जनसंख्या वृद्धि भ्रष्टाचार का ।।
ये दोनों विकराल काल हैं ।
जिसके कारण बुरा हाल है ।।
इन्हें रोकना सही पहल है ।
समस्याओं का एक ही हल है ।।